22 अभक्ष्य पदार्थ – पार्ट 6 Recipe by Jain Rasoi 579 days ago

22 अभक्ष्य पदार्थ - पार्ट 6
    B] 4 महाविगई त्याग

    6] मदिरा त्याग

    आज कलयुग पूरबहार मे खिला हैं । मांस के बाद मदिरापान की मात्रा भी बहुत बढ़ गई हैं । मुंबई जैसे शहरों में हर बिल्डिंग में बीयर बार खुल रहे हैं । 1२ से 1५ वर्ष के लडकों से लेकर साठ साल के काका भी आज थोडासा पीने का मजा लेने लगे हैं । कलयुग में पढ़े-लिखे डॉक्टर भी ड्रिंक्स करते हैं । कमाल हैं ! मदिरापान सर्वप्रथम लीवर का सत्यानाश करता हैं । जिसका लीवर जाता हैं उसकी जान जाते देर नहीं लगती । ४२ वर्ष की उम्र में दारु पीनेवाला पति एक्सपायर्ड हो जाता हैं । तब उसकी पत्नी, दो बालक और माँ-बाप निराधार बन जाते हैं । आशा के अरमानों के साथ सुपुत्र को पढ़ा लिखाकर तैयार किया । वह जब कुमित्रों के साथ शराब की महफील उडाकर अचानक बिदा हो जाता हैं तब पूरी फैमिली जलती आग में होम दी जाती हैं। समझदार होशियार और प्रज्ञावंत माने हुए मानव को स्वयं सोच-समझकर इस मरनेवाले पंथ से पीछे हठ जाना चाहिये।

    रम, जीन, शेम्पेईन, वाईन, बोरबन, खजुराहो, हेवर्डस, लंदन पील्सनर, स्कोच, टेकीला, वोडका, रॉयल-सेल्युट, थोमस-हार्डी, किंगफिशर जैसे अनेक ब्रान्ड नेमवाली बॉटल आज हर जगह बिक रही है । ये तमाम प्रकार की मदिरा में सतत बेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति तथा विनाश होता रहता है अनेक वर्षो तक अंगूर वगैरह को सडाते हैं। उसमें कीड़े उत्पन्न होते हैं । कीड़ों को मसलकर उसका रस निकाला जाता है, उससे अल्कोहोल तैयार होता है । ऐसी मदिरा कोई भी संयोग में पेट में डालने योग्य नहीं हैं।
Source : Research of Dining Table by Acharya Hemratna Suriji

 

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