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D] चार प्रकार के फल
10] बहुबीज का त्याग :
जैनदर्शन ने वनस्पति के प्रत्येक और साधारण जैसे दूसरे दो भेद बताये हैं ।
1. बहु-बीज
2. अल्प-बीज
1. बहुबीज
- जिन फलों में बीज ठसाठस भरे हो ।
- जिसमें एक और दूसरे बीज के बीच पड़ न हो ।
- जिसमें गुदा कम हो और बीज ज्यादा हो ऐसे लक्षण वाले फल बहुबीज कहलाते हैं । उदा. बैंगन, खसखस, राजगिरा, कोठबिडां, पंपोटा आदि
2. अल्पबीज
जो फलों में एक बीज के बाद एक परदा हो फिर बीज हो । इसतरह बीच-बीच में आंतरछाल की व्यवस्था हो अथवा बीज के ऊपर पतली छाल की परत हो उसे बहुबीज नहीं कहते। उदा. ककड़ी, जिसमें हरेक बीज के बीच पतली परत होती है । खरबूजा, पपीता के बीज चारों तरफ से पतली झिल्ली से कोटेड़ होते है ।
बहुबीज के अंदर परत नहीं होने के कारण अन्दर जीव पडना संभव है । बहुबीजवाले फल खूब पित्त करनेवाले होने से आरोग्य को भी हानि पहुँचाते है । इसलिये समझकर श्रावकों को ऐसे पदार्थो का त्याग कर देना चाहिये ।
Source : Research of Dining Table by Acharya Hemratna Suriji