जीभ और मन – डायरेक्ट लाईन Recipe by Jain Rasoi 597 days ago

जीभ और मन - डायरेक्ट लाईन
    जीभ और मन की कैसी डायरेक्ट लाइन हैं ये जानना है ? तुम्हे अनुभव नहीं, पर जो शराबी होगा उसे पता होगा कि पहेला पेग में गया नहीं कि सीधा करंट ऊपर दिमाग में लगा नहीं। पीने के साथ ही झूमने लगता है। उपर आकाश में उड़ते होने का अनुभय उसे होने लगता है । हेरोइन ग्रीर ब्राउनशुगर लेनेवाले से पूछो कि लेने के साथ ही कैसी कीक लगती है । गांजा चरस. कोकीन, मोर्फिन लेनेवाले हर एक व्यक्ति जीभ और माईन्ड के डायरेक्ट लाईन के अच्छे जानकार होते हैं ।

    अमेरिका के वैज्ञानिक, संशोधन करके ऐसी दवा खोजना चाहते हैं कि, जिसका प्रभाव मानव की बुद्धि को बढ़ा और घटा भी सके । कमजोर दिमाग के बालकों को ये रसायन देकर बुद्धिशाली बना सके और जेल में से पुलिस को चकमा देकर भाग जानेवाले चार्ल्स शोभराज और दाऊद इब्राहिम जैसे गुनेहगारों को अमुक रसायन देकर उनकी एक्स्ट्रा बुद्धि को कम कर सके । उनकी विचार शक्ति को कमजोर बना सके । जिससे देश में गुनाहखोरों की संख्या कम हो जाए और मानव सुख-शांति से जी सकें । आयुर्वेद के ग्रंथो में बुद्धिवर्धक औषधियों के नाम आते है। शंखपुष्पी-शतावरी-बाह्यी-गोरखमुंड़ी, अक्कलकरा आदि अनेक वनस्पतियॉं हैं, जिनके सेवन से मानव के दिमागी शक्ति में वृद्धि होती है। फॉरेन में आज ये सभी औषधियॉं लेबोरेटरी में चेक होने लगी है। उनके गुणधर्म सत्य सिद्ध हो रहें हैं। अब नीम को फॉरेन में एन्टीसेप्टीक घोषित किया गया है। खेतों में जीवजन्तुओं को मारने के लिए पेस्टीसाईड द्रव्यों के उपयोग के बदले एक नीम का झाड़ उगा दो तो जीवजन्तु उत्पन्न नहीं होते। नीम और तुलसी के झाड़ के पास मच्छर आते ही नहीं, एेसी लेटेस्ट खोज के बाद भारत के कड़वे नीम की परदेश में हैवी डीमांड निकली है और अपने दयालु उदारचित्त प्रधानों ने मल्टीनेशनल कंपनीओं को भारत के सभी नीम के पेड़ बेच दिये और रुपिये रोकड़े कर लिये हैं। आयुर्वेद ने खाद्य द्रव्यों के तीन विभाग दशार्ये है। वात, पित्त और कफ को (१) उपशम करने वाले, (२) तीनों को कुपित करने वाले, (३) इन तीनों को संतुलित करनेवाले वात, पित्त और कफ में विकृति आती है तब स्वभाव में भी अपने आप विकृति आ जाती है। तीखे, खारे, खट्टे, पदार्थ पित्त को विकृत करते हैं । पित्त का प्रकोप व्यक्ति को क्रोधी बनाता है । दहीं, गुड़, आईस्क्रीम आदि पदार्थ कफ को कुपित करते हैं, जो व्यक्ति का स्वभाव लोभी, कंजूस ओर चीकना बनाता है । सेमी का बीज, चौला, मठ, टमाटर आदि पदार्थ वायु को कुपित करते हैं, जिससे व्यक्ति का स्वभाव उदास, निराश अरि बेचेन हो जाता है ।

    आजकल हार्टअटैक बहुत सामान्य हो गया है। हार्टअटैक को आयुर्वेद हृदयशूल कहता है । यह रोग ज्यादा नमक खाने से होता है, ऐसा स्पष्ट उल्लेख हे । एक सूत्रमें कहा है, ‘पीप्पलक्षार- लवणानि नाधिकानि भोज्यानि।’ पीपर, खारा और नमक ये तीनो ज्यादा नहीं खाना चाहिये । नमक खून में मिलकर खून को बिगाड़ता है । आजकल आहार में नमकीन पदार्थों का उपयोग बेशुमार बढ़ गया है । सबेरे के नाश्ते में नमकीन, रात में ठेलों पर खाई जाती विविध आइटम, रेस्टॉरेन्ट में जाकर विविध वैरायटी खाई जाती, ये सब अति नमक से भरी होती है । उसमें खमण, ढ़ोकला, भजिया, गाठिया, सेव जैसी चीजे एकदम पोली बनाने के लिये उसमें मुट्ठी भर के मेडा डालते हैं। ये सोड़ा और नमक पेट में जाकर आरोग्य को हानि पहुँचाता है । वजन बढ़ने में दूध, घी, के बजाए नमक ज्यादा जवाबदार है। शरीर के कोषों में जमा नमक पानी पकड़ रखता है । अत: जितना वजन चरबी से नहीं बढ़ता उतना पानी के भरावे से बढ़ता है। एक औंस नमक छः रतल जितने पानी को पकड़ रखता है । खार खानेवाले के बाल सफेद हो जाते है। गंजे हो जाते है । जितने गंजे होंगे वे प्रायः नमकीन प्रेमी होंगे । चीनी लोग मांसभक्षी होते हैं, मांस को पचाने के लिए वे लोग खूब नमक खाते हैं । ये नमक उनके बाल के कोषों को खत्म कर देता है । शरीर पर कहीं भी बाल नहीं दिखते । प्राणियों के आहार में कहीं भी नमक खाने में आता नहीं इसलिये जानवरों के पूरे शरीर बाल से भरे रहते है । भेड़ बकरा शेर और भालू सभी बालों से भरे रहते हैं । आजकल गंजे होने का प्रश्न किस हद तक विकट हो गया है उसका समाचार पत्रों द्वारा पता चलता है ।

    गंजापन दूर करने, सफेद बालों को काले करने, बालों को सफेद होने से रोकने के लिए कई कंपनियाँ हेर-आईल की एडवरटाइज देती है और कई कंपनियाँ वीग की जाहेरात करती हैं । अपनी बात यह है कि आहार का आधिपत्य रोम से लेकर मनुष्य के मन तक फैला हुआ हैं । यदि आहार में परिवर्तन होता है तो मन: स्थिति में भी परिवर्तन होता है । अभी-अभी जो तनाव, गुस्सा, टेंशन, टोर्चर और चिंत्तचंचलता का अनुभव हो रहा है, वह आहार, भोजन की अनियमितता और खानपान के नियमों का अज्ञान ही है ।
Source : Research of Dining Table by Acharya Hemratna Suriji

 

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