-
B] 4 महाविगई त्याग
8] मक्खन त्याग
कितनों को मक्खन का नाम सुनकर झटका लगता है । मक्खन नही खा सकते ? अरे रहने दो! क्या ऐसा होता होगा ? दहीं खा सकते है, घी खा सकते हैं और मक्खन नहीं खा सकते ? हॉं, मक्खन नहीं खा सकते ।
मक्खन त्याग यह जैनदर्शन की एक अनोखी आचारसंहिता है । आहारशुद्धि के विषय में कितनी बातें ऐसी हैं कि जिसकी चर्चा हो सकती है । जिसका संशोधन हो सकता है । जिसका पूरावा दिया जा सकता है । परन्तु कितनी ही बातें ऐसी होती हैं कि उसमें रिसर्च नहीं किया जा सकता । कितनी ही बातें मस्तक झुकाकर स्वीकार करनी होती है । बिज़नेस के क्षेत्र में सभी जगह से पक्की रसीद नहीं मिलती । कभी विश्वास से भी चलाना पड़ता है । नाई के पास बाल कटवाने से पहले गर्दन का बीमा करवाना जरूरी नहीं, वहाँ विश्वास से सिर झुकाकर धारदार अस्त्र के नीचे पूरी गर्दन हजाम को अर्पण कर देते हैं । 'नो आर्ग्युमेंट', "नो डाउट' वैसे ही यहॉं भी कितनी ही बातों के प्रति मस्तक झुकाना जरूरी है । परमात्मा महावीर ने फरमाया है कि, 'मक्खन जहाँ तक छास में मिला हुआ है, तब तक अभक्ष्य नही बनता परन्तु उसे जैसे ही छास से बाहर निकाले तो उसमे तुरन्त बेइन्द्रिय जीव उत्पन्न होते हैं ।' मक्खन को खाते और गरम करते समय जीवों की हिंसा होती है । ऐसी हिंसा से बचने के लिये छास में से मक्खन को अलग करते वक्त साथ में थोडी छास भी उठा लेनी चाहिये । छास के साथ में मक्खन रखा जायें तो उसमें जीवों कि उत्पत्ति नही होती क्योंकि छास में "लेक्टीक' नाम का एसीड़ मौजूद होने के कारण जीवों की उत्पत्ति की संभावना नही रहती । पहले जहाँ श्रावकों के घरों में बिलौना होता था । वहाँ उपयोगवंत श्राविकाएँ चारों कोने से मक्खन इकट्ठा करके गोला बनाकर छास के साथ मक्खन को तपाने के लिए रखकर उसमें से घी बनाती थी ।
आज जो लोग डेरी से मक्खन के तैयार डबे घर लाकर घी बनातें हैं, उन्हें कहा पता है कि पूरा डब्बा सूक्ष्म बेइन्द्रिय जीवों से भरा है । कितने ही लोग घर में तथा होटल में भी ब्रेड के साथ मक्खन खाते हैं । उन्हें भी इस बात का बिल्कुल ख्याल नहीं होता । जागे तभी से सबेरा, जानने के बाद मक्खन का भक्षण बंद कर देना चाहिए ।
मक्खन
a) गाय, भेंस के दूध का मक्खन
b) भेड़, बकरी के दूध का मक्खन
c) डेरी का मिक्स मक्खन
उपरोक्त किसी भी प्रकार का मक्खन छास सें अलग होने के बाद अभक्ष्य समझना।
Source : Research of Dining Table by Acharya Hemratna Suriji