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आहार के विषय में जैनदर्शन जैसी आचारसंहिता विश्व में कोई नहीं दे सका । आयुर्वेद भी पीछे पड़ जाए, ऐसा सुंदरं आहार नियमन जैनदर्शनकारों ने दिया है परन्तु अफसोस की बात है कि आज खाने-पीने के मामले में जैन जितने बेफाम है, उतनी दूसरी कोम नहीं । पिछले २५ वर्षो में, जैनों ने बहुत रुपया कमाया । डायमंड बाज़ार ओर शेयर बाज़ार ने बहुतों को भवपार उतार दिया, लीला लहर हो गई है। बहुत ईज़ी सिस्टम से आये हुए पैसों ने बहुत प्रोब्लेम पैदा कर दी है। पैसा आते ही सुख के साधन इतने बढ़ गये हैं कि पैसेवालों को कोई काम करना रहा ही नहीं । सभी काम नोकर और मशीनें कर देती है । शेठ लोग रबड़ी, मावा की बरफी और काजू-बादाम का हलवा उड़ाते है । पेट फूलाते है, चब बढ़ाते है । सबेरे गार्डन में दौड़ते है । शाम को फाइव स्टार होटलों में जाते हैं । सुबह गार्डन में जो मजूरी की उसकी भूख शाम को जागी । हेम्बरगर, पीझा, पावभाजी, उत्तपा, मिल्कशेक, हॉट चॉकलेट, ठंडा, आइस्क्रीम और फिर ऊपर एक बाटली ! पूरी टंकी ठसाठस भर दी । सुबह फिर गार्डन में दौड़ने जाना । चाहे जितना दौड़ो किसी के बाप की मजाल नही कि चरबी कम कर सके । सुबह में गार्डन, शाम को होटल, अंत में हाॅस्पिटल ।
भक्ष्याभक्ष्य के सभी नियमों को तुमने टांग दिये है । एक बार क्या भक्ष्य और क्या अभक्ष्य है ये समझ लो । पांच प्रकार के आहार जैनदर्शन में त्याज्य कहे हैं ।
(१) द्विदल त्याग (कच्चे दूध, दहीं के साथ कठोल नहीं खाना)
(२) मद्य, मांस, मदिरा और मक्खन रुपी चार महाविगई का त्याग
(३) कुल 32 प्रकार के कंदमूल (गाजर, मूली, आलू, वगैरह) का त्याग। आलू से स्वभाव चिड़चिड़ा बनता है अल्सर होता है, शुक्राणुओं का नाश होता है, चरबी बढ़ती है और गंजे होते हैं ।
(४) कुल २२ प्रकार के अभक्ष्य पदार्थों (बरफ, आईस्कीम वगैरह) का त्याग
(५) चलितरस मतलब जिसका रूप, रस, गंध, स्पर्श बदल गया हो ऐसी तमाम चीजों का त्याग ।
तदुपरांत रात्रि के समय भोजन का त्याग और अजीर्ण हो गया हो तब भी भोजन का त्याग करना बताया हैं । आजकल इन सब नियमों का भंग हो रहा है । यदि स्वस्थ रहना हैं तो फिर पीछे गये बिना छुटकारा नही । बॅक टु बेझिक !
इस तरह चारों ओर से आहार की शुद्धि रखने से अपने आप देहशुद्धि होती हैं और देह शुद्धि होने से पांचों इन्द्रियाँ शुद्ध होती है और इन्केद्रियों के शुद्ध होने से श्वासोश्वास, भाषा अौर मन सब शुद्ध हो जाते है ।
Source : Research of Dining Table by Acharya Hemratna Suriji